सत्यमेव जयते (आमिर खान ) शृंखला
सत्यमेव जयते (आमिर खान ): आमिर खान की फिल्मों में मनोज कुमार का अंश दिखता है, सामाजिक विषयों पर इसका सकारात्मक दृष्टिकोण अन्य दोनों खानों के विपरीत स्वागत योग्य रहा है ! अब भी इसका स्वागत तो किया जा सकता है, किन्तु मीडिया का अब तक का आचरण देखते हुए कहना चाहता हूँ कि आज के "मुख्य धारा बिकाऊ मिडिया" द्वारा जिस प्रकार हर विषय पर समाज को भ्रमित किया जाता है उसे देखते हुए सतर्क होना आवश्यक है ! जहाँ महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों पर सकारात्मक पहल का स्वागत होना चाहिए, वहीँ मीडिया व NGO हमारे संवेदनशील मन को फुसला कर शोषण करना चाहे तो उसे रोकने की व्यवस्था भी होनी चाहिए !
हमारे राष्ट्र भक्त साथियों से निवेदन है कि विषय वस्तु, NGO की कार्य शैली, सार्थकता पर खोज परक दृष्टी से; कृपया, इनके आस पास से अवलोकन कर, समाज के हित में उसकी विस्तृत जानकारी, हमें इस ब्लाग पर उपलब्ध कराएँ; जिससे उस संभावित शोषण को रोका जा सके ! ध्यान रहे इस जानकारी की प्रमाणिकता का दायित्व आपका रहेगा, किन्तु भारत माता के पुत्र के नाते इसका निर्वहन अपने पूरी निष्ठां व परिश्रम से करना है ! तिलक संपादक मिडिया समूह 9911111611, 9654675533, tilak@yugdarpan.com, yugdarpan@gmail.com, yugdarpanh@rediff.com, yugdarpanh@yahoo.com शृंखला भाग- 4,
हमारे राष्ट्र भक्त साथियों से निवेदन है कि विषय वस्तु, NGO की कार्य शैली, सार्थकता पर खोज परक दृष्टी से; कृपया, इनके आस पास से अवलोकन कर, समाज के हित में उसकी विस्तृत जानकारी, हमें इस ब्लाग पर उपलब्ध कराएँ; जिससे उस संभावित शोषण को रोका जा सके ! ध्यान रहे इस जानकारी की प्रमाणिकता का दायित्व आपका रहेगा, किन्तु भारत माता के पुत्र के नाते इसका निर्वहन अपने पूरी निष्ठां व परिश्रम से करना है ! तिलक संपादक मिडिया समूह 9911111611, 9654675533, tilak@yugdarpan.com, yugdarpan@gmail.com, yugdarpanh@rediff.com, yugdarpanh@yahoo.com शृंखला भाग- 4,
हर जान कीमती है
एपिसोड ४ : चिकित्सा सेवायों में सुधार की जरुरत
लोग चिकित्सकों पर यह सोच कर विश्वास करते हैं कि वे अपने ज्ञान और कौशल से उनके स्वास्थ्य को सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं, पर जब इस ज्ञान का दुरूपयोग उनके भरोसे का अनुचित लाभ उठाने में किया जाता है तो चिकित्सीय देखभाल एक दु;स्वप्न बन जाती है. यह व्यवसाय वैसे अनैतिक चिकित्सकों तथा अस्पतालों से भरा हुआ है, जो रोगियों की कीमत पर खूब पैसे कमाना चाहते हैं, पर अभी भी कुछ चिकित्सक ऐसे हैं जो "हिप्पोक्रेटिक शपथ " पर टिके हुए हैं, तथा व्यवसाय को साफ सुथरा रखना चाहते हैं.
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सत्यमेव जयते की भागीदारी Axis bank के साथ
सत्यमेव जयते में चर्चा में आये समस्या- मुद्दे को उजागर करने के लिए प्रत्येक सप्ताह हम अलग अलग NGO का चयन करते हैं .. हम Axis Bank की भागीदारी के साथ आपको आमंत्रित करते हैं, हमारे साथ जुड़ने और मदद करने के लिए ताकि परिवर्तन लाया जा सके.
आपका डोनेशन इन संस्थाओं को उन्नतिशील बनाएगा सुरक्षित और सुनिश्चित डोनेशन देने के लिए Axis Bank पेज पर जाने के लिए नीचे क्लिक करें
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स्वयंसेवी संगठन और डोनेशन...
ह्यूमैनिटी ट्रस्ट ने वैसे लोगों को चिकित्सकीय देखभाल प्रदान करने के लक्ष्य के साथ 1996 में पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव हंसपुकुर में ह्यूमैनिटी अस्पताल प्रारम्भ किया, जो इस तक पहुँच नहीं सकते और इसका खर्च नहीं उठा सकते. आज अस्पताल प्रति वर्ष हजारों रोगियों को मुफ्त चिकित्सा देता है और अपनी पहुँच का विस्तार दूर-दराज के वैसे क्षेत्रों में कर रहा है. जहाँ आज भी अधिकांश लोगों के पास सस्ती चिकित्सा की सुविधा का अभाव है.
ह्यूमैनिटी अस्पताल के अस्तित्स्व में आने की कहानी अपने आप में ह्रदय विदारक है. यह हंसपुकुर, 24 परगना दक्षिणी पश्चिम बंगाल की निवासी सुभासिनी मिस्त्री के फौलादी निश्चय तथा सपने के रूप में शुरू हुआ. उन्होंने अपने 1971 में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण अपने पति को खो दिया और 20 साल तक घरों में काम करके, मजदूरी करके तथा सब्जी बेच कर अपने बच्चों को बड़ा किया. उसने 1,00,000 रुपयों की बचत की और पड़ोसियों तथा सामुदायिक कार्यकर्ताओं की सहायता से अपने बेटे अजय को डॉक्टर बनाया. गरीबों के लिए एक अस्पताल खोलने को सोच कर उन्होंने ठाकुरपुकुर के अंदरूनी हिस्से में जमीन खरीदी और वहां एक झोपड़ी में एक क्लिनिक शुरू किया.
व्यक्तियों तथा संस्थायों के नाम पर अस्पताल के नाम रखने की प्रथा का त्याग कर उन्होंने इसका नाम ह्यूमैनिटी हास्पिटल रखने का फैसला किया.
ह्यह्यूमैनिटी हास्पिटल, ह्यूमैनिटी ट्रस्ट के द्वारा संचालित है जो भारतीय न्यास अधिनियम के अंतर्गत 1993 में, आई टी एक्ट के तहत 1994 में तथा एफ.सी. आर एक्ट के तहत 1995 में निबंधित है. यह अस्पताल राज्य तथा केंद्र सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं लेता है और जनता के सदस्यों द्वारा दिए गए दान से संचालित होता है.
वर्तमान में अस्पताल में 13 विभिन्न विभाग हैं तथा यह औषधीय उपचार से लेकर खुली तथा लेप्रोस्कोपिक दोनों तरह की शल्य चिकित्सा सहित कई तरह की चिकित्सीय सेवाएं प्रदान करता है. अस्पताल में कुल 35 बिस्तर हैं, जिसमे 25 पूरी तरह नि:शुल्क हैं.
ह्यह्यूमैनिटी हास्पिटल के आदर्श लक्ष्य निम्न हैं –
*जरूरतमंद रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान करना.
* मानवता की सेवा की सच्ची भावना, दया और करुणा के साथ चिकित्सीय सुविधा प्रदान करना.
* समुचित चिकित्सा सुविधायों की अत्यधिक मांग को देखते हुए दूरदराज के क्षेत्रों में सेवायों का विस्तार.
* किसी को सिर्फ इसलिए मरने के लिए नहीं छोड़ देना कि वह इलाज का खर्च नहीं उठा सकता है .(कृपया सतर्क रहे )
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो,छद्म वेश में फिर आया रावण! संस्कृति में ही हमारे प्राण है! भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व -तिलक
ह्यूमैनिटी अस्पताल के अस्तित्स्व में आने की कहानी अपने आप में ह्रदय विदारक है. यह हंसपुकुर, 24 परगना दक्षिणी पश्चिम बंगाल की निवासी सुभासिनी मिस्त्री के फौलादी निश्चय तथा सपने के रूप में शुरू हुआ. उन्होंने अपने 1971 में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण अपने पति को खो दिया और 20 साल तक घरों में काम करके, मजदूरी करके तथा सब्जी बेच कर अपने बच्चों को बड़ा किया. उसने 1,00,000 रुपयों की बचत की और पड़ोसियों तथा सामुदायिक कार्यकर्ताओं की सहायता से अपने बेटे अजय को डॉक्टर बनाया. गरीबों के लिए एक अस्पताल खोलने को सोच कर उन्होंने ठाकुरपुकुर के अंदरूनी हिस्से में जमीन खरीदी और वहां एक झोपड़ी में एक क्लिनिक शुरू किया.
व्यक्तियों तथा संस्थायों के नाम पर अस्पताल के नाम रखने की प्रथा का त्याग कर उन्होंने इसका नाम ह्यूमैनिटी हास्पिटल रखने का फैसला किया.
ह्यह्यूमैनिटी हास्पिटल, ह्यूमैनिटी ट्रस्ट के द्वारा संचालित है जो भारतीय न्यास अधिनियम के अंतर्गत 1993 में, आई टी एक्ट के तहत 1994 में तथा एफ.सी. आर एक्ट के तहत 1995 में निबंधित है. यह अस्पताल राज्य तथा केंद्र सरकार से कोई आर्थिक सहायता नहीं लेता है और जनता के सदस्यों द्वारा दिए गए दान से संचालित होता है.
वर्तमान में अस्पताल में 13 विभिन्न विभाग हैं तथा यह औषधीय उपचार से लेकर खुली तथा लेप्रोस्कोपिक दोनों तरह की शल्य चिकित्सा सहित कई तरह की चिकित्सीय सेवाएं प्रदान करता है. अस्पताल में कुल 35 बिस्तर हैं, जिसमे 25 पूरी तरह नि:शुल्क हैं.
ह्यह्यूमैनिटी हास्पिटल के आदर्श लक्ष्य निम्न हैं –
*जरूरतमंद रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान करना.
* मानवता की सेवा की सच्ची भावना, दया और करुणा के साथ चिकित्सीय सुविधा प्रदान करना.
* समुचित चिकित्सा सुविधायों की अत्यधिक मांग को देखते हुए दूरदराज के क्षेत्रों में सेवायों का विस्तार.
* किसी को सिर्फ इसलिए मरने के लिए नहीं छोड़ देना कि वह इलाज का खर्च नहीं उठा सकता है .(कृपया सतर्क रहे )
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो,छद्म वेश में फिर आया रावण! संस्कृति में ही हमारे प्राण है! भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व -तिलक
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