सत्यमेव जय
सत्यमेव जयते (आमिर खान ) शृंखला
सत्यमेव जयते (आमिर खान ): आमिर खान की फिल्मों में मनोज कुमार का अंश दिखता है, सामाजिक विषयों पर इसका सकारात्मक दृष्टिकोण अन्य दोनों खानों के विपरीत स्वागत योग्य रहा है ! अब भी इसका स्वागत तो किया जा सकता है, किन्तु मीडिया का अब तक का आचरण देखते हुए कहना चाहता हूँ कि आज के "मुख्य धारा बिकाऊ मिडिया" द्वारा जिस प्रकार हर विषय पर समाज को भ्रमित किया जाता है उसे देखते हुए सतर्क होना आवश्यक है ! जहाँ महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों पर सकारात्मक पहल का स्वागत होना चाहिए, वहीँ मीडिया व NGO हमारे संवेदनशील मन को फुसला कर शोषण करना चाहे तो उसे रोकने की व्यवस्था भी होनी चाहिए !
हमारे राष्ट्र भक्त साथियों से निवेदन है कि विषय वस्तु, NGO की कार्य शैली, सार्थकता पर खोज परक दृष्टी से; कृपया, इनके आस पास से अवलोकन कर, समाज के हित में उसकी विस्तृत जानकारी, हमें इस ब्लाग पर उपलब्ध कराएँ; जिससे उस संभावित शोषण को रोका जा सके ! ध्यान रहे इस जानकारी की प्रमाणिकता का दायित्व आपका रहेगा, किन्तु भारत माता के पुत्र के नाते इसका निर्वहन अपने पूरी निष्ठां व परिश्रम से करना है ! तिलक संपादक मिडिया समूह 9911111611, 9654675533, tilak@yugdarpan.com, yugdarpan@gmail.com, yugdarpanh@rediff.com, yugdarpanh@yahoo.com शृंखला भाग- 1,
हमारे राष्ट्र भक्त साथियों से निवेदन है कि विषय वस्तु, NGO की कार्य शैली, सार्थकता पर खोज परक दृष्टी से; कृपया, इनके आस पास से अवलोकन कर, समाज के हित में उसकी विस्तृत जानकारी, हमें इस ब्लाग पर उपलब्ध कराएँ; जिससे उस संभावित शोषण को रोका जा सके ! ध्यान रहे इस जानकारी की प्रमाणिकता का दायित्व आपका रहेगा, किन्तु भारत माता के पुत्र के नाते इसका निर्वहन अपने पूरी निष्ठां व परिश्रम से करना है ! तिलक संपादक मिडिया समूह 9911111611, 9654675533, tilak@yugdarpan.com, yugdarpan@gmail.com, yugdarpanh@rediff.com, yugdarpanh@yahoo.com शृंखला भाग- 1,
बेटी अनमोल है
एपिसोड 1 : कन्या भ्रूण हत्या
इस एपिसोड में आमिर खान बात कर रहे हैं कन्या भ्रूण हत्या या अजन्मे कन्या शिशु की हत्या की जो एक बहुत ही भयावह तथा दुखद पहलु है और सभ्य समाज के लिए चेतावनी है. इस अमानवीय गैरकानूनी कृत्य में पति तथा ससुराल पक्ष केलोगों का दबाब, चिकित्सकों की धन लिप्सा तथा पुरुष प्रधान समाज की वह मानसिकता जिम्मेवार है जो किसी भी कीमत पर पुत्र की प्राप्ति करना चाहते हैं. इस घृणित मानसिकता के भयावह परिणाम के रूप में आजादी के बाद करीब पांच करोड़ अजन्मे बेटियों की हत्या हो चुकी है तथा कई पीढ़ियों के युवाओं को जीवन साथी नहीं मिल पाये हैं
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सत्यमेव जयते की भागीदारी Axis bank के साथ
सत्यमेव जयते में चर्चा में आये समस्या- मुद्दे को उजागर करने के लिए प्रत्येक सप्ताह हम अलग अलग NGO का चयन करते हैं .. हम Axis Bank की भागीदारी के साथ आपको आमंत्रित करते हैं, हमारे साथ जुड़ने और मदद करने के लिए ताकि परिवर्तन लाया जा सके.
आपका डोनेशन इन संस्थाओं को उन्नतिशील बनाएगा सुरक्षित और सुनिश्चित डोनेशन देने के लिए Axis Bank पेज पर जाने के लिए नीचे क्लिक करें
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स्वयंसेवी संगठन और डोनेशन...
स्नेहालय(www.snehalaya.org), का गठन 1989 में अहमदनगर, महाराष्ट्र में डॉ गिरीश कुलकर्णी के नेतृत्व में कुछ ऐसे युवा स्वयंसेवकों द्वारा किया गया था जो महिलाओं तथा बच्चों पर हो रही हिंसा से बहुत निराश थे और कुछ ऐसा रचनात्मक कार्य करना चाहते थे जिससे परिस्थिति में सुधार हो सके.
संस्था का लक्ष्य समाज के वैसे नागरिकों को जागरूक बनाना और उनकी क्षमता का विकास करना है जो सामाजिक भेदभाव के कारण शोषित हैं तथा जिन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है. स्नेहालय संस्था “बेटी बचाओ” परियोजना के तहत “हर गाँव में पालना” अभियान चलाती है , जिसमे वैसी लड़कियों को गोद लेने को बढ़ावा दिया जाता है जो अपने माता पिता की अनचाही संतान है या उसकी देखभाल करने में असमर्थ हैं. जिसका उद्देश्य कन्या शिशु हत्या और भ्रूण हत्या को जड़ से मिटाना है. अगर कोई बेटी अनचाही संतान है तो बजाय शिशु हत्या के लिए छोड़ देने के नए अभिभावकों को उसे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है . जानकारी मिलते ही सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे कन्या शिशु को स्थानीय पुलिसकर्मी , ग्रामीण कार्यकर्ता या संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा शिशु देखभाल केंद्र में ले आया जाता है . कन्या भ्रूण हत्या रोको अभियान के तहत महिला स्वयंसेवकों द्वारा गर्भवती महिलायों की सुरक्षित प्रसव तक निगरानी कर यह सुनिश्चित किया जाता है की भ्रूण लिंग जाँच परीक्षण न हो पाए. "पालना हर गाँव में " अभियान को अहमदनगर जिले में शिरगोंडा उप-जिले के सबसे ख़राब लिंगानुपात वालों में से एक चिखली गाँव से प्रारंभ किया गया जहाँ नई जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 883 लड़कियां हैं.
संस्था का लक्ष्य समाज के वैसे नागरिकों को जागरूक बनाना और उनकी क्षमता का विकास करना है जो सामाजिक भेदभाव के कारण शोषित हैं तथा जिन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है. स्नेहालय संस्था “बेटी बचाओ” परियोजना के तहत “हर गाँव में पालना” अभियान चलाती है , जिसमे वैसी लड़कियों को गोद लेने को बढ़ावा दिया जाता है जो अपने माता पिता की अनचाही संतान है या उसकी देखभाल करने में असमर्थ हैं. जिसका उद्देश्य कन्या शिशु हत्या और भ्रूण हत्या को जड़ से मिटाना है. अगर कोई बेटी अनचाही संतान है तो बजाय शिशु हत्या के लिए छोड़ देने के नए अभिभावकों को उसे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है . जानकारी मिलते ही सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे कन्या शिशु को स्थानीय पुलिसकर्मी , ग्रामीण कार्यकर्ता या संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा शिशु देखभाल केंद्र में ले आया जाता है . कन्या भ्रूण हत्या रोको अभियान के तहत महिला स्वयंसेवकों द्वारा गर्भवती महिलायों की सुरक्षित प्रसव तक निगरानी कर यह सुनिश्चित किया जाता है की भ्रूण लिंग जाँच परीक्षण न हो पाए. "पालना हर गाँव में " अभियान को अहमदनगर जिले में शिरगोंडा उप-जिले के सबसे ख़राब लिंगानुपात वालों में से एक चिखली गाँव से प्रारंभ किया गया जहाँ नई जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 883 लड़कियां हैं.
स्नेहालय की अन्य गतिविधियों में प्रमुख हैं - बच्चों के लिए आवास गृह की व्यवस्था , मुसीबतजदा महिलायों को आश्रय तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण देना, झुग्गी बस्तियों में बाल भवन संचालित कर बच्चों को शिक्षित करना , पेशेवर यौन कर्मियों के बेहतर जीवन के लिए सशक्तिकरण तथा पुनर्वापसी के कार्यक्रम चलाना , HIV पोजिटिव महिला तथा पुरुषों को चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करवाना, 24x7 चाइल्डलाइन तथा बचाव कार्यक्रम चलाना, गोद लेने को प्रोत्साहित करना और अब तक सैकड़ों शिशुयों को प्रेममय परिवारों तक पहुँचाना, इत्यादि.
संस्था का लक्ष्य समाज के वैसे नागरिकों को जागरूक बनाना और उनकी क्षमता का विकास करना है जो सामाजिक भेदभाव के कारण शोषित हैं तथा जिन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है. स्नेहालय संस्था “बेटी बचाओ” परियोजना के तहत “हर गाँव में पालना” अभियान चलाती है , जिसमे वैसी लड़कियों को गोद लेने को बढ़ावा दिया जाता है जो अपने माता पिता की अनचाही संतान है या उसकी देखभाल करने में असमर्थ हैं. जिसका उद्देश्य कन्या शिशु हत्या और भ्रूण हत्या को जड़ से मिटाना है. अगर कोई बेटी अनचाही संतान है तो बजाय शिशु हत्या के लिए छोड़ देने के नए अभिभावकों को उसे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है . जानकारी मिलते ही सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे कन्या शिशु को स्थानीय पुलिसकर्मी , ग्रामीण कार्यकर्ता या संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा शिशु देखभाल केंद्र में ले आया जाता है . कन्या भ्रूण हत्या रोको अभियान के तहत महिला स्वयंसेवकों द्वारा गर्भवती महिलायों की सुरक्षित प्रसव तक निगरानी कर यह सुनिश्चित किया जाता है की भ्रूण लिंग जाँच परीक्षण न हो पाए. "पालना हर गाँव में " अभियान को अहमदनगर जिले में शिरगोंडा उप-जिले के सबसे ख़राब लिंगानुपात वालों में से एक चिखली गाँव से प्रारंभ किया गया जहाँ नई जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 883 लड़कियां हैं.
संस्था का लक्ष्य समाज के वैसे नागरिकों को जागरूक बनाना और उनकी क्षमता का विकास करना है जो सामाजिक भेदभाव के कारण शोषित हैं तथा जिन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है. स्नेहालय संस्था “बेटी बचाओ” परियोजना के तहत “हर गाँव में पालना” अभियान चलाती है , जिसमे वैसी लड़कियों को गोद लेने को बढ़ावा दिया जाता है जो अपने माता पिता की अनचाही संतान है या उसकी देखभाल करने में असमर्थ हैं. जिसका उद्देश्य कन्या शिशु हत्या और भ्रूण हत्या को जड़ से मिटाना है. अगर कोई बेटी अनचाही संतान है तो बजाय शिशु हत्या के लिए छोड़ देने के नए अभिभावकों को उसे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है . जानकारी मिलते ही सुरक्षा की दृष्टि से ऐसे कन्या शिशु को स्थानीय पुलिसकर्मी , ग्रामीण कार्यकर्ता या संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा शिशु देखभाल केंद्र में ले आया जाता है . कन्या भ्रूण हत्या रोको अभियान के तहत महिला स्वयंसेवकों द्वारा गर्भवती महिलायों की सुरक्षित प्रसव तक निगरानी कर यह सुनिश्चित किया जाता है की भ्रूण लिंग जाँच परीक्षण न हो पाए. "पालना हर गाँव में " अभियान को अहमदनगर जिले में शिरगोंडा उप-जिले के सबसे ख़राब लिंगानुपात वालों में से एक चिखली गाँव से प्रारंभ किया गया जहाँ नई जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 883 लड़कियां हैं.
स्नेहालय की अन्य गतिविधियों में प्रमुख हैं - बच्चों के लिए आवास गृह की व्यवस्था , मुसीबतजदा महिलायों को आश्रय तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण देना, झुग्गी बस्तियों में बाल भवन संचालित कर बच्चों को शिक्षित करना , पेशेवर यौन कर्मियों के बेहतर जीवन के लिए सशक्तिकरण तथा पुनर्वापसी के कार्यक्रम चलाना , HIV पोजिटिव महिला तथा पुरुषों को चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करवाना, 24x7 चाइल्डलाइन तथा बचाव कार्यक्रम चलाना, गोद लेने को प्रोत्साहित करना और अब तक सैकड़ों शिशुयों को प्रेममय परिवारों तक पहुँचाना, इत्यादि.
स्वयंसेवी संगठन और डोनेशन...
जालन्धर की स्वयंसेवी संस्था "यूनिक होम फॉर गर्ल्स " परित्यक्त बच्चियों को आवास प्रदान करने में सार्थक कार्य कर रही है. यूनिक होम फॉर गर्ल्स का गठन १७ मई १९९३ को हुआ था जो भाई घनाय्या जी चैरीटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत है यह संस्था अनचाहे, बेसहारा, अनाथ बच्चियों की देख-रेख करने के लिए प्रारंभ हुयी थी , ट्रस्ट का उद्देश्य इन बच्च्चियों को स्वस्थ व्यक्ति के रूप में आगे बढ़ाना तथा शिक्षित करना है.
माता गुरुदीप कौर जो भाई घनाय्या जी चैरीटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं , तथा बच्चों की सेवा के लिए पूर्णत: समर्पित हैं. इस संस्था के पीछे की मुख्य शक्ति बीबी प्रकाश गौर जी हैं जो इन बच्चों के लिए रात रात भर जाग के कार्य किया करती हैं . वस्तुत: उन्होंने इन बच्चों के विकास और पुनर्वास को ही अपने जीवन का मुख्य ध्येय बना लिया है. लेकिन खोये हए मानव अधिकारों की प्राप्ति का उनका सपना और संघर्ष जीवन भर के लिए है.
माता गुरुदीप कौर जो भाई घनाय्या जी चैरीटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं , तथा बच्चों की सेवा के लिए पूर्णत: समर्पित हैं. इस संस्था के पीछे की मुख्य शक्ति बीबी प्रकाश गौर जी हैं जो इन बच्चों के लिए रात रात भर जाग के कार्य किया करती हैं . वस्तुत: उन्होंने इन बच्चों के विकास और पुनर्वास को ही अपने जीवन का मुख्य ध्येय बना लिया है. लेकिन खोये हए मानव अधिकारों की प्राप्ति का उनका सपना और संघर्ष जीवन भर के लिए है.
इन बच्चों को एक प्रबुद्ध और स्वाभिमानी नागरिक के रूप में आगे बढ़ाना तथा समाज में उनके खोये हुए स्थान को प्राप्त कराना एक बहुत जी कठिन कार्य है जिसके लिए जन सामाजिक प्रयास करने होंगे . वचन दीजिये कि आप यूनिक होम फॉर गर्ल्स के इस सार्थक कार्य में मदद करेंगे.
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो,छद्म वेश में फिर आया रावण! संस्कृति में ही हमारे प्राण है! भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व -तिलक
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