सत्यदर्पण:-

सत्यदर्पण:- कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए। जो उनके राज में न हो सका पूरा, मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करेंगे उसके साले। विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है, देश को लूटा जा रहा है। दिन के प्रकाश में सबके सामने आता सफेद झूठ; और अंधकार में लुप्त सच।

भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण | संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व | -तिलक 7531949051, 09911111611, 9999777358.

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शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

संघ सृष्टि :- आइये, जाने।

संघ का उद्देश्य, आवश्यकता, कार्य एवं स्वरूप 
 -रा स्व सं RSS का विराट स्वरूप 
रा स्व सं के पूरे विश्व में 70 लाख स्वयंसेवक, प्रत्यक्ष जुड़े हैं तथा संघ परिवार (अनुषांगिक संगठन) के 17 करोड़ कार्यकर्त्ता इसे विश्व परिवार में एक वैश्विक स्वरूप प्रदान करते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, संघ के 98789 स्वयंसेवक मुसलमान  तथा 7689 ईसाई हैं। एक 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' नमक संस्था राष्ट्रीय सोच के मुसलमानों में राष्ट्र व उनके हित में कार्य करती है। 
अपने इस विराट स्वरूप के साथ, समाज में कभी भी किसी आपदा के समय, आपात सहायता के लिए बनी सरकारी व्यवस्था ()से पूर्व संघ के स्वयं सेवक बड़ी संख्या में पहुंच कर अपना दायित्व निभाते मिलेंगे। सन 1962 में चीनी आक्रमण (तथा बाद में 65 व 71 युद्ध) में सेना की सामग्री आपूर्ति से लेकर शहरों की यातायात व्यवस्था तक इन कथित अर्ध सैनिक अनुशासित देश भक्तों ने की, जिसके कारण संघ का कट्टर विरोधी नेहरू भी 1963 की गणतंत्रता दिवस परेड में आमंत्रित कर, इन्हे सम्मानित करता है। जबकि इसी संघ पर गांधी हत्या का राजनैतिक व झूठा आरोप था। यह एक सर्वविदित तथ्य है। 
एक प्रश्न 125 करोड़ से -

चाहे बाड़ हो या सूखा, तूफान हो या भूचाल 
अथवा 1947 में पाकिस्तान में हुए हिंन्दू नरसंहार का बवाल। 
हम सुरक्षित रह सके, यह इन्ही का था कमाल, 
फिर भी हैं क्यों? ये आरोप के कटघरे में बस यही है मलाल।।
राहत और पुर्नवास संघ कि पुरानी परंपरा रही है। संघ ने 1971 के उड़ीसा चक्रवात और 1977 के आंध्र प्रदेश  चक्रवात में राहत कार्यों में महती भूमिका प्रत्यक्ष निभाई है। समय समय पर प्राकृतिक आपदाओं से घिरे समाज में सहायता के लिए बनी, सरकारी धन पर पली, सभी सरकारी तथा अर्ध सरकारी हो या गैर सरकारी संस्थाएं कैसे कार्य करती हैं यह किसी से छुपा नहीं है। राष्ट्रीय अस्तित्व और स्वाभिमान के प्रश्न पर तो सैन्य बलों के अतिरिक किसी अन्य से अपेक्षा ही नहीं की जा सकती।  तो ऐसे समय में सदा निस्संकोच त्वरित सहायता उपलब्ध होती रही है, इन्ही स्वयंसेवकों के सेवा भाव से।  सजग राष्ट्र प्रहरी का वास्तविक रूप यदि कोई है तो बस यही है! ..यही है!! ..यही है!!! ..
किन्तु तुष्टीकरण नीति के चलते, जिन्होंने शिवजी, प्रताप, लक्ष्मीबाई या सिख गुरु सहित आजाद, भगत सिंह, सुखदेब, राजगुरु, सावरकर के बलिदान नेताजी के स्थान पर, आडम्बरधारी राजनीति को पूजा है, आत्मघाती उन जैसा विश्व में नहीं दूजा है।  ऐसी व्यवस्था में संघ अपमानित तिरस्कृत या प्रताड़ित हुआ, तो कोई आश्चर्य नहीं: ऐसे समाज की रक्षा का किसी अन्य में है सामर्थ्य नहीं। 
स्पष्टतया, संघ राष्ट्ररक्षा व जागरण का संकल्प है। 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 
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राष्ट्ररक्षायाम उत्तिष्ठत जाग्रत, परित्राणाय साधुनाम विनाशाय

च: दुष्कृताम, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !! -तिलक
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण |
भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक

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