*अमिताभ बच्चन की भी सुनो*
कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए। जो उनके राज में न हो सका पूरा, मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करते रहे उसके साले। विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जाता रहा, देश को लूटा जाता रहा है। दिन के प्रकाश में सबके सामने आता सफेद झूठ; और अंधकार में लुप्त सच। -तिलक 07838468776, 9911111611, 9999777358
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सत्यदर्पण:-
सत्यदर्पण:- कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए। जो उनके राज में न हो सका पूरा, मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करेंगे उसके साले। विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है, देश को लूटा जा रहा है। दिन के प्रकाश में सबके सामने आता सफेद झूठ; और अंधकार में लुप्त सच।
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बुधवार, 29 जून 2022
*अमिताभ बच्चन की भी सुनो*
शनिवार, 25 जून 2022
👉आज़ादी का सफर, रामकृ मिशन स्थापना दिवस आज और स्वतंत्रता सैनानी प्रफुल्ल चाकी को नमन 1 May👈
👉आज़ादी का सफर, रामकृ मिशन स्थापना दिवस आज और स्वतंत्रता सैनानी प्रफुल्ल चाकी को नमन 1 May👈 साभार सू प्र मं
👉आज़ादी का सफर, रामकृ मिशन स्थापना दिवस आज और स्वतंत्रता सैनानी प्रफुल्ल चाकी को नमन 1 May👈
👉आज़ादी का सफर, रामकृ मिशन स्थापना दिवस आज और स्वतंत्रता सैनानी प्रफुल्ल चाकी को नमन 1 May👈 साभार सू प्र मं
शुक्रवार, 17 जून 2022
शर्मनिरपेक्ष रचना का उत्तर
शर्मनिरपेक्ष रचना का उत्तर
"प्रथम दृष्टया चेहरा जैसा है, कहीं इस रचना का लक्ष्य विपरीतगामी तो नहीं?
तुकबंदी तो अच्छी किन्तु भ्रामक है, यथार्थ देखें 👀"
धर्मनिरपेक्ष दिखने की चाह, कैसे अर्धसत्य को शर्मनिरपेक्ष बना देती?
बाँट दिया इसस धरती को
चाँद सितारों का क्या होगा ?
नदियों के कुछ नाम धरे
बहती धाराओं का क्या होगा ?
शिव की गंगा भी पानी है
आबे जमजम भी पानी है
मुल्ला भी पिये पंडित भी पिये
पानी का मजहब क्या होगा ?
इन फ़िरक़ापरस्तों से पूछो
क्या सूरज अलग बनाओगे ?
एक हवा में सांस है सबकी
क्या हवा नई चलाओगे ?
नस्लों का जो करें बटवारा
रहवर वो कौम का ढोंगी है ?
क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था
या राम ने मस्जिद तोड़ी थी ?
धर्मनिरपेक्षता को आज़द कलम का उत्तर -सत्य न छुपेगा, भ्रामक अर्धसत्य से।
शिव की गंगा तो अमृत है, अवमुल्यन इसका न करो। भूमि सूर्य, चांद सितारे, नदियां सभी सनातन है बच्चे, मिला के मदिरा को जल में अपमानित कर, कैसे कहलाओगे सच्चे?
जन्मभूमि का मंदिर तोड़, वह मस्जिद तो अवैध थी, अभी वैध अवैध नहीं जानते, अभी कलम के हों कच्चे।।
(यह स्वरचित नही संकलित है किन्तु उत्तर आज़द कलम का)
तिलक राज रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार
मु सम्पादक युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह YDMS👑
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण | भारतीय संस्कृति में ही हमारे प्राण है | संस्कृति की रक्षा करना हमारा दायित्व || -तिलक
शर्मनिरपेक्ष रचना का उत्तर ढ
शर्मनिरपेक्ष रचना का उत्तर
"प्रथम दृष्टया चेहरा जैसा है, कहीं इस रचना का लक्ष्य विपरीतगामी तो नहीं?
तुकबंदी तो अच्छी किन्तु भ्रामक है, यथार्थ देखें 👀"
धर्मनिरपेक्ष दिखने की चाह, कैसे अर्धसत्य को शर्मनिरपेक्ष बना देती?
बाँट दिया इसस धरती को
चाँद सितारों का क्या होगा ?
नदियों के कुछ नाम धरे
बहती धाराओं का क्या होगा ?
शिव की गंगा भी पानी है
आबे जमजम भी पानी है
मुल्ला भी पिये पंडित भी पिये
पानी का मजहब क्या होगा ?
इन फ़िरक़ापरस्तों से पूछो
क्या सूरज अलग बनाओगे ?
एक हवा में सांस है सबकी
क्या हवा नई चलाओगे ?
नस्लों का जो करें बटवारा
रहवर वो कौम का ढोंगी है ?
क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था
या राम ने मस्जिद तोड़ी थी ?
धर्मनिरपेक्षता को आज़द कलम का उत्तर -सत्य न छुपेगा, भ्रामक अर्धसत्य से।
शिव की गंगा तो अमृत है, अवमुल्यन इसका न करो। भूमि सूर्य, चांद सितारे, नदियां सभी सनातन है बच्चे, मिला के मदिरा को जल में अपमानित कर, कैसे कहलाओगे सच्चे?
जन्मभूमि का मंदिर तोड़, वह मस्जिद तो अवैध थी, अभी वैध अवैध नहीं जानते, अभी कलम के हों कच्चे।।
(यह स्वरचित नही संकलित है किन्तु उत्तर आज़द कलम का)
तिलक राज रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार
मु सम्पादक युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह YDMS👑