पराजित विजय माल्या
किंगफिशर विमानसेवा जिसके पंख कभी दूसरों को ले आकाश में उड़ने की क्षमता रखने वाली अब बंद हो चुकी किंगफिशर विमानसेवा के आधार स्तम्भ विजय माल्या के लिए अपना आधार कठिन हो गया है। भुगतान असफलता मामले में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (भाविप्रा) द्वारा अंकित वाद उपनगर अंधेरी की महानगर न्यायपालिका ने माल्या के विरुद्ध जब गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया गया है। इस मामले में 7 मई को दंडाधिकारी एएस लाऔलकर ने माल्या को आज के दिन न्याया में उपस्थित होने का निर्देश दिया था और आदेश का पालन नहीं करने पर गैर-जमानती वारंट जारी करने की स्पष्ट चेतावनी भी दी थी। किन्तु माल्या न्याया में उपस्थित नहीं हुए।
इससे यह तो स्पष्ट समझ में आती है कि आकाश की ऊँची उड़ान में रहने के आदी तथा मध्य के व्यवसाय का नशा और इन सब को सहयोगी सत्ता के समय चलाते हुए जिस मानसिकता और अहं का निर्माण हुआ उसने किंगफिशर विमानसेवा के विजय माल्या कानून और न्यायालय का कोई सम्मान या भय नहीं रहा तथा उसकी अवमानना करने का दुस्साहस उपजा। किन्तु संभवत वो भूल गए हैं कि अब उन्हें सरकारी पोषण संरक्षण नहीं अपितु छूट भी एक सामान्य सीमा तक ही मिलेगी। उसका पालन नहीं करने या अवमानना करना अब उन्हें भारी पड़ेगा।
हुआ यह कि न्याया भाविप्रा द्वारा किंगफिशर विमानसेवा के विरुद्ध अंकित कुल 100 करोड़ रुपए के दो चेक अवैध होने के मामले की सुनवाई कर रही थी। भाविप्रा ने दो मामले अंकित करवाए हैं जिसमें माल्या को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की जो स्थायी छूट न्याया से मिली है उसे रद्द करने की मांग की गई है। विमानसेवा के बैंकों से लिए ऋण के 9,000 करोड रुपये चुकाने में असफल रहने की सूचना जब फैली तो तभी माल्या ने देश छोड़ दिया था। भाविप्रा ने माल्या के विरुद्ध बन्दी आदेश जारी करने की भी मांग की है।
इससे पूर्व भाविप्रा की ओर से न्याया में उपस्थित वकील ने कहा था कि माल्या का पासपोर्ट रद्द होने को देखते हुए लगता नहीं है कि न्याया के आदेश के बाद भी उनका वकील अपने मुवक्किल को न्याया में उपस्थित कर पाएगा। इस कारण अब न्यायलय ने उनकी उस मांग को स्वीकार कर लिया है।
अब अपराधियों के अच्छे दिन समाप्त हो गए तभी तो उनके कुछ पोषक कहने लगे है कहाँ हैं अच्छे दिन।