सत्यदर्पण:-

सत्यदर्पण:- कलयुग का झूठ सफ़ेद, सत्य काला क्यों हो गया है ?-गोरे अंग्रेज़ गए काले अंग्रेज़ रह गए। जो उनके राज में न हो सका पूरा, मैकाले के उस अधूरे को 60 वर्ष में पूरा करेंगे उसके साले। विश्व की सर्वश्रेष्ठ उस संस्कृति को नष्ट किया जा रहा है, देश को लूटा जा रहा है। दिन के प्रकाश में सबके सामने आता सफेद झूठ; और अंधकार में लुप्त सच।

भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | मानवतावादी वेश में आया रावण | संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व | -तिलक 7531949051, 09911111611, 9999777358.

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बुधवार, 30 अप्रैल 2014

तिवारी ने गडकरी से मांगी, बिना शर्त क्षमा
केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने दुर्भावना पूर्वक भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के विरुद्ध आदर्श सोसायटी घोटाले के संदर्भ में लगाए गए मिथ्या आरोपों के लिए उनसे ‘‘बिना शर्त क्षमा’’ मांगी है। भाजपा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार तिवारी ने न्यायालय में दिए लिखित वक्तव्य में गडकरी पर लगाए गए गलत आरोपों के लिए क्षमा मांगते हुए कहा है कि भविष्य में वह आदर्श सोसायटी को लेकर उनके बारे में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, जिनसे उनकी मानहानी हो। तिवारी ने कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में 10 नवंबर, 2010 को संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि गडकरी का आदर्श सोसायटी में 'बेनामी फ्लैट' है।
गडकरी ने इस आरोप का खंडन करते हुए तिवारी से क्षमा मांगने को कहा था, किन्तु तब ऐसा नहीं करने पर उन्होंने आपराधिक मानहानि का मामला अंकित किया। तिवारी ने मुंबई की अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की न्यायालय में दिए लिखित वक्तव्य में कहा, कि आदर्श सोसायटी घोटाले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रपट देखने के बाद यह स्पष्ट हुआ है, कि ‘‘इस घोटाले में आपका किसी तरह का कोई लेना देना नहीं था।’’ उन्होंने स्वीकार किया, कि 10 नवंबर, 2010 को उन्होंने जो वक्तव्य दिया था, वह सही तथ्यों पर आधारित नहीं था। गडकरी ने तिवारी की ‘‘बिना शर्त क्षमा याचना’’ के बाद न्यायालय से कांग्रेस नेता के विरुद्ध अपनी याचिका वापस ले ली है। 
मनीष तिवारी ने तो "क्षमा याचना’’ कर ली किन्तु इन मिथ्या आरोपों के सन्दर्भ से केजरीवाल मिथ्या आरोपों के प्रहार करता रहा तथा भाजपा के विरुद्ध जनता को भ्रमित कर लोकतंत्र से खिलवाड़ करता रहा। जब तक मनीष तिवारी अथवा केजरीवाल जैसों पर प्रभावी रोक क़ी कर्यवाही नहीं होती तब तक हम इसे सफल लोकतंत्र में चुनाव आयोग की निष्पक्षता कैसे मान लें। 
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का
सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण |
संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक

सोमवार, 7 अप्रैल 2014

भाजपा को स्थापना दिवस उपहार

भाजपा को स्थापना दिवस उपहार 
'Spectacular BJP win'भाजपा और उसके सहयोगी दलों को लोकसभा चुनाव में अभी तक 259 सीटों पर विजय, शुक्रवार को जारी एक सर्वेक्षण के अनुसार, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को 123 सीटें पाने का अनुमान है। 
जिसमे भाजपा 214 सीटों का अनुमान और कांग्रेस 104, एनडीटीवी द्वारा सर्वेक्षण के अनुसार। 
उत्तर प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में जहां भाजपा ने नरेंद्र मोदी को अपनी ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप मैदान में उतारा है, भाजपा के लिए यह एक "भव्य जीत" दर्शाता है। 



'भाजपा की भव्य जीत'

भाजपा को 2009 चुनाव में मात्र 10 की तुलना में, राज्य की 80 सीटों में से 53 जीत की आशा है. 
उत्तर प्रदेश केंद्र में सत्ता की कुंजी है क्योंकि अब तक भाजपा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1998 के चुनावों में था, जब यह राज्य में 57 सीटें जीती है। 
भाजपा सवर्ण और पिछड़ी जाति के मतदाताओं का एक गठबंधन यह बनाने के लिए काम 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश में बड़ी विजय का संकेत है। दूसरी ओर दक्षिण में तेदेपा की राजग में वापसी, 10 वर्ष पश्चात् भाजपा के भाग्य का चक्र घूमा है। यह भाजपा को उसके स्थापना दिवस उपहार है। 
सर्वेक्षण से यह भी पता चला है, कि हर राज्य के किसी क्षेत्र में बड़े नेताओं के क्षेत्ररक्षण की अपनी रणनीति के साथ भाजपा का भाग्योदय हो सकता है। 
A new
survey says
the BJP is
expected to win
53 of UP's 80 seats,
compared to just
10 in the 2009
polls. Pictured is BJP prime ministerial candidate Narendra Modiचित्र में भाजपा प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी
 
सर्वेक्षण में कांग्रेस और अजित सिंह के नेतृत्व में अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल के लिए सबसे बड़ा क्षय की भविष्यवाणी की गई है। 
वे 2009 में 26 सीटों में से मात्र सात सीटों के लिए आशा कर रहे हैं। 
उत्तर प्रदेश में भाजपा का लाभ भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए खाते से हैं। 
2009 में राज्य में सबसे अधिक सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी, इस समय मात्र 13 या नीचे10सीटों पर सीमित रह जायेगी। 
पार्टी को गत वर्ष के मुजफ्फरनगर दंगों के प्रभाव का फल भुगतना लगता है और गत माह के सर्वेक्षण निष्कर्ष में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को संसद में 230 का तथा कांग्रेस और उसके सहयोगियों के लिए 128 सीटों का आंकड़ा दर्शाया गया था। 
यह नया सर्वेक्षण, पहले सर्वेक्षण से भी एक मामूली उच्च आंकड़ा प्रस्तुत करता है। नए साथी जुड़ना चालू है, तथा स्थिति और बदलेगी। 
एक नए सर्वेक्षण से कहते हैं. कि भाजपा को उत्तर प्रदेश की 2009 चुनाव में मात्र 10 की तुलना में 80 सीटों में से 53 जीत की आशा है।उत्तेजना व भूलों से बचे रहें, अंतत: लक्ष्य 272+ सफल हो ही जायेगा। 
The BJP has been working to build a coalition of upper caste and backward caste voters that won it big rewards in Uttar Pradesh in the 1990s, the latest survey showed.



The poll also showed that the BJP may have struck gold with its strategy of fielding big leaders in every region of the state.
The poll predicted the biggest losses for the Congress and its ally Rashtriya Lok Dal led by Ajit Singh.
They are expected to crash to a mere seven seats from 26 seats in 2009.
The BJP's gains in Uttar Pradesh also come at a cost to the Samajwadi Party and the Bahujan Samaj Party.
The Samajwadi Party, which won most seats in the state in 2009, is set to bag just 13 this time, down 10 seats.
The party seems set to face the impact of the last year's Muzaffarnagar riots and a less than "impressive record of governance", the poll showed. The findings were based on a survey conducted last month.
Another poll conducted by the channel in February had given the BJP and its allies 230 of the 543 directly elected seats in the lower house of Parliament.
The earlier poll had also projected a marginally higher figure of 128 seats for the Congress and its allies.
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण | संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक

शनिवार, 5 अप्रैल 2014

कोबरा पोस्‍ट व ऑपरेशन ' जन्‍मभूमि' की वास्तविकता

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You- Will Start Loving Narendra Modi
Modi Haters & Kejri Lovers A Must Watch Video for You- Will Start Loving Narendra Modi
YOUTUBE.COM|BY NARENDRAMODIBJP
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कोबरा पोस्‍ट व ऑपरेशन ' जन्‍मभूमि' की वास्तविकता, जानिये.....
ऑपरेशन ' जन्‍मभूमि' दिखाने वाले कोबरा पोस्‍ट को छद्म स्टिंग के लिए नेटवर्क 18 अर्थात सीएनएन-आईबीएन समूह, टीवी टुडे अर्थात आजतक समूह, कल का स्‍टार अर्थात आज का एबीपी न्‍यूज, वित्त पोषण करता है। इसकी पुष्टि स्वयं कोबरा के स्वामी अनिरुद्ध बहल ने‍ एक साक्षात्‍कार में की, जिसका सूत्र http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2013/03/21/qa-what-is-cobrapost/ है। इन चैनलों का भाजपा व नरेंद्र मोदी विरोध छिपा नहीं है। आईबीएन समूह के प्रमुख संपादक राजदीप सरदेसाई के विरुद्ध तो लूनावाड़ा नरकंकाल मामले में कब्र खोदकर शव निकालने वाली, तीस्‍ता सीतलवाड़ को सुझाव देने का शपथ पत्र अदालत में जमा है,शव निकालते समय टीवी टुडे का राहुल सिंह भी तीस्‍ता को सहायता के लिए उपस्थित था, गुजरात दंगों के समय स्‍टार टीवी ने दंगा भड़ाकाने जैसी रिपोर्टिंग की थी। ये तो कुछ उदाहरण हैं, इनकी पूरी वास्तविकता तो वरिष्ठ पत्रकार श्री संदीप देव ने अपनी पुस्‍तक '' साजिश की कहानी-तथ्‍यों की जुबानी''http://aadhiabadi.com/shop/books/namo-books/namo-books6-detail में खोली है। पाकिस्‍तान से अधिक हमारे देश के शत्रु ये पत्रकार हैं, जो हर समय छद्म स्टिंग और छद्म सूचना के माध्यम देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने को तत्पर रहते हैं।
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण | संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक

'मौत का सौदागर' से 'जहर की खेती'-तक

'मौत का सौदागर' से 'जहर की खेती'-तक की शीर्ष से हुई अभिव्यक्ति, तथा उसपर केंद्रीय चुनाव आयोग का मौन, का ही परिणाम है, किसी प्रत्याशी की यह बहक, कि नरेन्द्र मोदी को काटकर टुकड़े-टुकड़े कर देंगे. देश के जिस क्षेत्र में ऐसी प्रगल्भता भरी अभिव्यक्ति हुई है, उसे सदैव ‘संवदेनशील’माना गया है | यदि अब भी कार्यवाही नहीं होती, तो स्थिति बिगड़ने का दोषी कौन ?
किसी के एक ‘अपराध’ को हजारों ‘अपराध’ करने वालों से अधिक महत्वपूर्ण बताए जाने का एक ही उद्देश्य है. एक वर्ग-विशेष में भय पैदा कर उन्हें अपनी पक्षधर बनाना.
VICHARVIMARSH.COM
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लोकसभा चुनाव की तिथियां घोषित होने के लगभग दो वर्ष पूर्व से देश में यह माहौल बन रहा था कि इस बार के निर्वाचन में सुशासन, महंगाई और भ्रष्टाचार की समस्याओं के कारण आर्थिक विकास मुख्य मुद्दा रहेगा. भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों को जैसा व्यापक जन समर्थन मिला था, उससे यह स्पष्ट हो रहा था कि जनता किसी भी रूप में-चाहे पद का दुरुपयोग हो, या फिर कमीशनखोरी-भ्रष्टाचारियों को सत्ता से बेदखल कर देने के मूड में है. जनता को तब भारी निराशा हुई, जब इस मानसिकता को पनपाने में मुख्य भूमिका निभाने वालों में सत्ता की लोलुपता ने बिखराव पैदा किया. लेकिन इसी बीच एक व्यक्ति फिर उभर कर सामने आया, जिसने विकास को चुनावी मुद्दा बना दिया. उस व्यक्ति के अभियान को पिछले डेढ़ दशक से घृणा और हिंसा की राजनीतिक करने के लिये देश-विदेश में ‘अपराधी’ के रूप में खड़ा करने की कोशिश की जा रही थी. इन लोगों का अनुमान था कि उनका विकास का मुद्दा चल नहीं पायेगा क्योंकि उनके विरुद्ध घृणा और हिंसा की राजनीति करने के आरोपों का व्यापक प्रभाव है. लेकिन विकास का मुद्दा परवान चढ़ता गया. यही नहीं, लोगों में यह विश्वास भी बढ़ता गया कि देश के विकास की सकारात्मक सोच इसी व्यक्ति में है. उसे मौत का सौदागर आदि से संबोधित करने के प्रतिफल से सबक सीखने के बजाय उसके प्रति घृणा की भावना को प्रखर बनाने के लिये न्यायालय तक के फैसलों का मान नहीं किया गया. विकास और सुशासन के मामले में केंद्रीय सरकार की संस्थाओं द्वारा सराहे जाने के बावजूद सरकार चलाने वालों ने उसके शासन को सब प्रकार के अवगुणों की खान साबित करने के लिये ‘सांप्रदायिकता बनाम सेक्युलरिज्म’ का सहारा लिया.
सेक्युलरिज्म के नाम पर जिस प्रकार के संबोधनों से अनर्गल आरोपों की जैसी बौछार की गई, उसका ही परिणाम ‘बोटी-बोटी काट डालने’ की अभिव्यक्ति के रूप में सामने आये. आश्चर्य तो यह है कि जो समुदाय वोट बैंक की राजनीति से निकलने का दावा कर रहा था, जो हर मामले में निन्दा अथवा फतवा जारी करने का आदी है, वह इस अभिव्यक्ति पर मौन है. शायद उसके इस मौन समर्थन से ही प्रोत्साहन मिला होगा. एक ओर, नेता यह कह रहे हैं कि ऐसी अभिव्यक्ति हमारी पार्टी की नीति नहीं है, दूसरी ओर, उसे उम्मीदवारी से बेदखल करने के बजाय उसके समर्थन में लामबंद हो रहे हैं. यह अभिव्यक्ति कुछ महीने पहले की है, जब वह दूसरी पार्टी में था. लेकिन ऐसी आग उगलने का समय कुछ भी रहा हो, वह समाज को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और वैमनस्य से ही झुलसाएगी. जो सेकुलर तबका मुतालिक को भाजपा में शामिल करने पर उबल पड़ा था, वह इमरान मसूद के मामले में मौन क्यों हैं? किसी के एक ‘अपराध’ को हजारों ‘अपराध’ करने वालों से अधिक महत्वपूर्ण बताए जाने का एक ही उद्देश्य है. एक वर्ग विशेष में भय पैदा कर उन्हें अपना पक्षधर बनाना. देश इस समय अनेक प्रकार की अनास्थाओं के भंवर में फंसा है. विकास के नारे ने अनास्था के इस भंवर से बाहर निकलने की एक आशा पैदा की है. घोर निराशा एवं विघटन के माहौल में दुष्प्रचार के बीच अडिग खड़े रहने वाले विकास मुद्दे के वाहक पर जितना ही प्रहार किया जा रहा है, वह उतना ही सशक्त होता जा रहा है. क्यों? क्योंकि जनता को उसकी कथनी और करनी में अंतर नहीं दिखाई देता. इस जनविश्वास को डिगाने के लिये विभेदकारी और हिंसात्मक प्रवृत्ति को उभारने का प्रयास देशद्रोह से कम नहीं है. अगले कुछ दिनों में यह प्रवृत्ति और पनपेगी, ऐसा इस आधार पर कहा जा सकता है कि विकास को चुनावी मुद्दा बनाने वाले इस व्यक्ति पर सभी राजनीतिक पक्ष हमलावर हो चुके हैं. उन्हें एक साथ लामबंद करने का प्रयास यद्यपि सफल नहीं हो सका है, लेकिन समाज के एक वर्ग को जो भयदोहन का शिकार कर रहा है, फिर से उसी दिशा में लौटने की बाध्यता का शिकार होने जा रहा है. इस बार का चुनावी माहौल कुछ ऐसा है कि जिसमें अपनी कर्तव्यनिष्ठा के प्रति अनुकूलता पैदा करने से अधिक दूसरों की विश्वसनीयता को संदिग्ध साबित करने की होड़ मची है. मतदाताओं को, जो वास्तव में चुनाव-परिणाम के असली भुक्तभोगी होंगे, सोच समझकर निर्णय करना होगा.
मतदाताओं को अपने विवेक का प्रयोग करते हुए दुष्प्रचार की आंधी में उड़ने या मुद्दों पर दृढ़ता से कायम रहने का निर्णय करना होगा क्योंकि उसके निर्णय पर ही पूरे देश की सुखद संभावनायें निर्भर हैं. निराशा, हताशा, प्रलोभन, जातीय, वर्गीय और क्षेत्रीय भावनाओं से ऊपर एक राष्ट्र की भावना से ही बिखराव रोका जा सकता है. किसी व्यक्ति को काटकर टुकड़े-टुकड़े करने की अभिव्यक्ति का निहितार्थ समझना होगा और यह भी कि इसके प्रति किसकी कैसी अभिव्यक्ति हुई है या नहीं हुई है.
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण | संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक

12 reasons why Modi could be the best PM

12 reasons why Modi could be the best PM India has ever seen!

Do not worry, I am a student of economics and I do not buy Modi’s highly publicized theories of development. Nor am I being paid by him, as the gaumless AAP supporters bombing my Facebook page doltishly claim, as the popularity of AAP plummets to new lows with each new immature statement and puerile act from Kejriwal (the latest being that he will jail all those media people who write against him)!
लेकिन यह देश काबिल नेताओं द्वारा अभी तक बहुत देर के लिए मूर्ख बनाया गया है और यह निश्चित रूप से एक बार एक असली नेता को हमारे इतिहास में पहली बार के लिए एक मौका देने के लिए हमारे लिए समय आ गया है कि मेरे लिए बहुत स्पष्ट है . मैं आगे बात करने से पहले, मुझे कुछ चीजें स्पष्ट करते हैं . गुजरात एक उच्च विकास राज्य है , लेकिन है कि इस अकेले एक मोदी चमत्कार की वजह से है कि इसका मतलब यह नहीं है . गुजरात हमेशा एक उच्च विकास राज्य रहा है और उसी गति मोदी द्वारा बनाए रखा गया है , कम या ज्यादा . वास्तव में, पिछले एक दशक में , विकास के मामले में महाराष्ट्र से बेहतर किया गया है ; मानव विकास के मामले में केरल काफी आगे कर दिया गया है ; और गरीबी कम करने के मामले में , तमिलनाडु में कहीं बेहतर रहा है. फिर भी , यह किसी भी तरह Modinomics कहा जाता है कि वहाँ कुछ हमारे गले यह नीचे बाजार में सफल रही है जो मोदी की ! यह भाजपा के शीर्ष पर कोई विश्वसनीय अर्थशास्त्री का अभाव है कि एक पार्टी है कि इस तथ्य के बावजूद . तो क्यों मैं अभी भी " अब की baar मोदी सरकार " करना चाहते हैं?
केजरीवाल को अस्वीकार करने के लिए 12 कारणों पर मेरे पिछले संपादकीय (http://www.thesundayindian.com/en/story/12-reasons-why-you-should-not-vote-for-arvind-kejriwal/48908/) अत्यधिक रूप में अच्छी तरह से आलोचना के रूप में सराहना की गई थी . तो इस बार , यहां मोदी के लिए अपने 12 कारण हैं ; भारत कभी देखा है कि जो भी उसे सबसे अच्छा प्रधानमंत्री बना सकता है .

# 1 . मैं अपने बचपन के बाद से भारतीय राजनीति में बेहतर मोदी से नेता सामग्री नहीं देखा है ; और बड़ों पोस्ट श्यामा प्रसाद मुखर्जी , भारत मोदी रूप में करता है के रूप में दावे के तौर पर और के रूप में स्पष्ट रूप से बात कर सकते हैं , जो एक नेता नहीं देखा गया है कि कहना है! निजी तौर पर, मैं देश का प्रतिनिधित्व अति दुर्बल नेताओं के थक गया हूँ और विश्व के नेताओं के लिए खड़े हो जाओ और उन्हें भारत का ध्यान रखना कर सकते हैं , जो एक नेता को देखने के लिए प्यार होता .

# 2 . विकास की मोदी की दृष्टि भारत की जरूरत क्या है . गुजरात रोल मॉडल नहीं हो सकता है , लेकिन मोदी ध्यान केंद्रित विकास है , और इस तरह के आर्थिक विकास - जगह मुफ्त पानी और बिजली की तरह लोकलुभावन खैरात से - हमारे सभी बीमारियों की देखभाल कर सकते हैं , और उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिए लोगों को लैस कर सकते हैं .

# 3 . मोदी ने अपने राज्य के प्रारंभिक भाग के दौरान हो रहा एक दुर्भाग्यपूर्ण दंगा देखा हो सकता है , और सुप्रीम कोर्ट उसे क्लीन चिट दी सही है या गलत तरीके से हो सकता है , लेकिन जैसा कि वे कहते तथ्य सर्वश्रेष्ठ माफी एक गलती दोहरा कभी नहीं में है . और पहले और 2002 के बाद , हम भारत में सभी के आसपास जगह ले जा दंगों के सैकड़ों देखा है , हम गुजरात में एक दूसरे को नहीं देखा है , जबकि ! कि मोदी में विश्वास करता है और खुद को प्रतिबद्ध क्या है, तो हम अपनी गलतियों में संशोधन के बजाय कपटी क्षमा याचना अग्रेषण में विश्वास रखता है जो एक असली आदमी है .

# 4 . मोदी उद्योगपतियों को गले लगा लिया गया है और खुद को मुक्त बाजार के एक दोस्त होना दिखाया गया है , लेकिन यह जरूरी है कि वह भ्रष्ट है और आम जनता का ख्याल नहीं होगा कि इसका मतलब यह नहीं है . वह निश्चित रूप से शब्दों का एक आदमी की तरह लग रहा है. गुजरात मानव विकास सूचकांक में एक नेता नहीं हो सकता है , लेकिन यह कुछ महान पहलू हैं . उदाहरण के लिए , स्कूली शिक्षा के लिए उपयोग के मामले में , गुजरात में मुसलमानों बेहतर हिंदुओं की तुलना में रखा जाता है. और यह अच्छी खबर है . इसी तरह, भारत भर में , मुझे लगता है वे वर्तमान में क्या है की तुलना में शिक्षा के लिए अब तक बेहतर पहुंच हो रही दलितों और मुसलमानों को देखने के लिए प्यार होता .

# 5 . मोदी सुधारों का एक आदमी होने लगता है , और व्यापार के क्षेत्र सख्त कुछ की जरूरत है. हम समय - समय पर पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ किसी भी करों को लागू करने और भारत के लिए अपने सभी विकास और रोजगार दे रहा है जो व्यापार समुदाय , परेशान कर सकते हैं कि एक अप्रत्याशित सरकार नहीं कर सकते हैं . न ही हम व्यापार समुदाय के महत्व को समझते हैं और जिनके विचार शक कर रहे हैं नहीं है जो किसी को भी हो सकता है .

# 6 . मोदी ने रिश्वत नहीं ले करता है कि एक छवि है और रिश्वत लेने देना नहीं है . आईएएस अफसरों वे उससे अच्छा निर्णय निर्माता नहीं देखा है कि कसम खाता हूँ . हम विशेष रूप से एक दशक के लिए बौद्धिक कमी और बेसुध मनमोहन सिंह को देखने के बाद मोदी की तरह एक फर्म निर्णय निर्माता की जरूरत है.

# 7 . मोदी के गुजरात में अपराध दर भारत के सभी बड़े राज्यों में सबसे कम है . गुजरात में अपने दोस्तों वे गुजरात में चोरी या बलात्कार का कोई डर नहीं है कि कसम खाता हूँ . और जगह लेता है कि किसी भी दुर्लभ अपराध किसी भी अपराध के अपराधियों को अत्यंत भयभीत कर रही है , घंटे के भीतर हल है. दिल्ली दुनिया की बलात्कार राजधानी बनने के बाद, हम अपराध पर नियंत्रण कर सकते हैं, जो एक नेता की जरूरत है.

# 8 . सुशासन मोदी का वादा है . सुशासन दूसरों पर बेतरतीब ढंग से उंगली उठाई बारे में निश्चित रूप से नहीं है ! यह बात चलने के बारे में है . और यहाँ 12 साल और उससे अधिक के लिए बात चला गया , और दिल जीतने और सुशासन के साथ एक प्रगतिशील राज्य बनाने के लिए दिखाया गया है जो एक आदमी है .

# 9 . हम दूर एकतरफा , बंद दरवाजे , गोपनीय , माँ और बच्चे के निर्णय लेने की वंशवादी राजनीति से तोड़ने की जरूरत है . इस प्रकार, एक केंद्रीय समिति लोकतांत्रिक ढंग से फैसले लेने के लिए है जो बिजली , भाजपा की तरह एक पार्टी हो रही है , बहुत जरूरी है और लोकतंत्र में हमारे विश्वास को बहाल करेंगे .

# 10 . मोदी स्थिर कंधे पर एक परिपक्व सिर है. उन्होंने कहा कि भारत के रू - बरू हमारे वैश्विक संबंधों के लिए अच्छी तरह से करना होगा . मैं अमेरिकी सेना Crimea पर ले जा सकते हैं, या यहां तक ​​कि रूस के अफगानिस्तान या चीनी से वापस लेने के भू राजनीतिक प्रभाव पर बात करने की कोशिश कर रहा एक राहुल गांधी या अरविंद केजरीवाल के बारे में सोचा पर कंपकंपी . हम अगले बड़ी महाशक्ति बनने के लिए भारत के लिए एक स्पष्ट दृष्टि के साथ एक परिपक्व नेता की जरूरत है.

# 11 . अमेरिकियों उसे एक वीजा से इनकार किया . मैं मोदी को भूल जाते हैं कि कभी नहीं होगा और आशा है कि वे आवश्यक हैं जहां दोस्ती बनाने के फलस्वरूप - शक्ति के संतुलन में एक नया वैश्विक समीकरण बनाने के लिए - यह है कि चीन और रूस के साथ है. यह दुनिया की जरूरत है कि जी -8 नहीं है ; भारत , चीन, रूस - - एक शांतिपूर्ण और सांस्कृतिक रूप से बेहतर ग्रह है करने के लिए दुनिया की 3 सर्कल की जरूरत है. और मैं मोदी कि बनाने के लिए आदमी हो जाएगा उम्मीद है .

# 12 . अंत में, एक लाइटर नस पर , वह मनमोहन सिंह के बाद आ जाएगा कि बहुत तथ्य यह किसी भी मामले में मोदी को सबसे अच्छा कभी प्रधानमंत्री की तरह लग रही होगी ! यह क्या हो जाएगा एक विपरीत और राहत ! हम सब इस आदमी को एक मौका दे दो! भारत सरदार पटेल ने अपने समय के दौरान प्रधानमंत्री होने का एक उचित मौका इनकार किया ; हम मोदी के साथ भी ऐसा ही नहीं चाहिए .
 But it’s very clear to me that the nation has been fooled for far too long by incapable leaders and it’s definitely time for us for once to give a chance for the first time ever in our history to a real leader. Before I speak further, let me clarify a few things. Gujarat is a high growth state but that doesn’t mean that this is due to a Modi miracle alone. Gujarat has always been a high growth state and the same pace has been retained by Modi, more or less. In fact, in the last one decade, in terms of growth, Maharashtra has been better off; in terms of human development, Kerala has been far ahead; and in terms of poverty reduction, Tamil Nadu has been far better. Yet, it’s Modi who has somehow been able to market it down our throats that there is something called Modinomics! This, despite the fact that BJP is a party that lacks any credible economist at the top. So why do I still want “Ab ki baar Modi sarkar”?
My previous editorial on 12 reasons to reject Kejriwal (http://www.thesundayindian.com/en/story/12-reasons-why-you-should-not-vote-for-arvind-kejriwal/48908/) was highly appreciated, as well as criticised. So this time, here are my 12 reasons for Modi; what could even make him the best Prime Minister that India has ever seen.

#1. I haven’t seen leader-material better than Modi in Indian politics since my childhood; and elders do say that post Shyama Prasad Mukherjee, India has not witnessed a leader who can speak as assertively and as clearly as Modi does! Personally, I am tired of spineless leaders representing the country and would love to see a leader who can stand up to world leaders and make them take note of India.

#2. Modi’s vision of growth is what India needs. Gujarat may not be the role model, but Modi is growth focussed, and such economic growth – rather than populist doles like free water and electricity – can take care of all our ills, and can equip people to make them independent.

#3. Modi may have seen an unfortunate riot happening during the initial part of his reign, and the Supreme Court may have correctly or incorrectly given him a clean chit, but the fact as they say is that the best apology is in never repeating a mistake. And while before and after 2002, we have seen hundreds of riots taking place all around in India, we haven’t seen another one in Gujarat! If that’s what Modi believes in and commits himself to, then we have a real man who believes in amending his mistakes instead of forwarding pretentious apologies.

#4. Modi has embraced industrialists and has shown himself to be a friend of free market, but that doesn’t necessarily mean that he is corrupt and won’t take care of the masses. He surely looks like a man of words. Gujarat may not be a leader in Human Development Indexes, but it has some great aspects. For example, in terms of access to schooling, Muslims in Gujarat are better placed than Hindus. And that’s great news. Likewise, throughout India, I would love to see Dalits and Muslims getting far better access to education than what they have currently.

#5. Modi looks to be a man of reforms, and the business sector needs some desperately. We can’t have an unpredictable government that can introduce any taxes with retrospective effect from time to time and harass the business community, which is giving India all its growth and employment. Nor can we have anyone who doesn’t understand the significance of the business community and whose thoughts are suspect.

#6. Modi has an image that he doesn’t take bribes and doesn’t let people take bribes. IAS officers swear that they haven’t seen a better decision maker than him. We need a firm decision maker like Modi, especially after seeing the intellectually deficient and insensate Manmohan Singh for a decade.

#7. In Modi’s Gujarat, the crime rate is the lowest amongst all big states of India. My friends in Gujarat swear that they have no fear of thefts or rapes in Gujarat. And any rare crime that takes place is solved within hours, making criminals extremely fearful of committing any crime. After Delhi becoming the rape capital of the world, we need a leader who can control crime.

#8. Good governance is Modi’s promise. Good governance is surely not about pointing fingers randomly at others! It’s about walking the talk. And here is a man who has walked the talk for 12 years and more, and shown how to win hearts and make a progressive state with good governance.

#9. We need to break away from dynastic politics of unilateral, closed-door, secretive, mother and child decision making. Thus, getting a party like BJP to power, which does have a central committee democratically taking decisions, is a must and will restore our faith in democracy.

#10. Modi has a mature head on stable shoulders. He would do well for India vis-à-vis our global relations. I shudder at the thought of a Rahul Gandhi or Arvind Kejriwal trying to speak on geopolitical effects of the American army withdrawing from Afghanistan or the Chinese might, or even of Russia taking over Crimea. We need a mature leader with a clear vision for India to become the next big superpower.

#11. Americans denied him a visa. I hope Modi will never forget that and ergo make friendships where they are required – that is, with China and Russia – to make a new global equation in the balance of power. It’s not G8 that the world needs; the world needs the circle of 3 –  India-China-Russia – to have a peaceful and culturally superior planet. And I hope Modi will be the man to forge that.

#12. Finally, on a lighter vein, the very fact that he will come after Manmohan Singh will in any case make Modi look like the best PM ever! What a contrast and relief it will be! Let’s all give this man a chance! India denied Sardar Patel a fair chance to be the PM during his times; we must not do the same with Modi.
भारतीय संस्कृति की सीता का हरण करने देखो | छद्म वेश में फिर आया रावण | संस्कृति में ही हमारे प्राण है | भारतीय संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व || -तिलक